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यस आई एम— 21





















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तपस और स्वर्णा अपने दोनों बच्चों को लेकर उस बुढ़ी औरत की लाश के साथ हॉस्पिटल पहुंच गए। स्वर्णा अपने बेटे और बेटी को भी अपने साथ ले आई क्योंकि उसे अपनी बेटी के गुस्से के बारे में बहुत अच्छे से मालूम था। वह उन दोनों को एक साथ छोड़कर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी इसलिए  दोनों को अपने साथ ले आई। तपस ने हॉस्पिटल पहुंचते ही अपनी मां को एडमिट करा दिया और जब तक उन्होंने उस बुढ़ी औरत को एडमिट किया तब तक उसके दोनों भाई और भाभी भी वहां पर पहुंच गए। जब वें लोग वहां पर पहुंचे तब उन्हें उन्हें तपस और स्वर्णा सामने वाले गलियारे में ही टहलते हुए दिखाई दिए। वें दोनों इस प्रकार टहल रहे थे जैसे वें दोनों डॉक्टर के बाहर आने का इंतज़ार कर रहे हो। वें चारों भी अब तक उन दोनों के पास पहुंच गए और जैसे ही वें चारों लोग वहां पहुंचे उनके पहुंचते ही डॉक्टर भी तब तक बाहर आ गया। वह डॉक्टर बाहर आने के बाद बस इतना ही बोला। "शी इस नो मोर।" और इतना कहने के बाद वहां से चला गया। यह खबर सुनकर उन सभी लोगों को बहुत झटका लगा और वहां खड़ी तपस की दोनों भाभियां इतनी बात सुनकर फूट फूट कर रोने लगी। उन दोनों को रोना स्वर्णा से भी देखा नहीं गया। वह उन दोनों के पास गई और दोनों को चुप कराने लगी। उन दोनों के चुप होते ही वहां पर सन्नाटा पसर गया। उन सभी में से कोई कुछ कह पाता उसे पहले ही तपस बोल पड़ा। "अभी हम लोगों को सबसे पहले जाकर मां जी का अंतिम संस्कार कर देना चाहिए बाकि के काम तो बाद की बात है। हमारा सबसे पहला काम मां जी की आत्मा को शान्ति देना है।" तपस की बात से वहां पर मौजूद बाकी के सभी लोग भी सहमत हो गए। इसके बाद वें लोग वहां से सीधा शमासन घाट पहुंच गए और बच्चों को लेकर स्वर्णा घर पहुंच गई।







शमसान घाट पर क्रिया क्रम करने के बाद सभी लोग तपस के साथ सीधा उसके घर चले गए। घर आने के बाद सभी लोग ड्रॉइंग रूम में जाकर सोफे पर बैठ गए। कुछ देर तक तो सभी लोग मौन व्रत धारण किए बैठें रहे। कुछ देर बाद तपस अपना मौन व्रत तोड़ते हुए बोला और उसके साथ ही उसने उन लोगों को सब बातें डिटेल में एक ही सांस में बता दी। तपस के मुंह से पूरी बात सुनने के बाद वें चारों लोग अपनी जगह से सीधे के सीधे खड़े हो गए। उन लोगों को अचानक से इस तरह से खड़ा हुआ देखा तपस डर जाता है जिसकी वजह से वह भी एकदम से खड़ा हो जाता है।





तपस के खड़ा होने के बाद छोटी बहु ताना मारते हुए बोली। "मैंने तो पहले ही कहा था जो भी बच्चा जीजी की कोख से पैदा होगा , वह हम में से किसी को भी नही छोड़ेगा।"



"सही कह रही तो तुम! देखा मां जी को तो इस लड़की ने कितनी बेरहमी से मार दिया। इस लड़की का क्या भरोसा कब हमें भी भगवान के पास भेज दे।" बड़ी बहू छूटी बहु की बात का समर्थन करते हुए बोली।



तपस कभी बड़ी बहू की तरफ देखता तो कभी छोटी बहु की तरफ देखता। बहुत देर तक इसी तरह कभी बड़ी बहू की तरफ तो कभी छोटी बहु की तरफ देखने के बाद तपस बोला। "ऐसा कुछ भी नही है , मेरी बेटी ने मां जी का खून नही किया। वो तो बस एक ऐक्सिडेंट था इसके अलावा कुछ भी नही।





तपस की इतनी बात सुनकर बुढ़ी औरत का बड़ा बेटा तेस में आते हुए बोला।  "भाई साहब अब तो रहने दीजिए आपको तो अपनी बेटी ही सही लगेंगी। पर जो सच है उसे कोई भी झुठला नहीं सकता। ना तो मैं और नही आप। आप खुद सोचिए जिस तरीके के मां जी गिरी है क्या आपको लगता है कि वह कोई एक्सिडेंट होगा। मुझे तो ऐसा लगता है मां जी को आपकी बेटी ने ही जान बूझकर धक्का दिया होगा। शायद आपकी बेटी ने उस वक्त का बदला लिया है जब वह पैदा हुई थी।" इतनी बात सुनकर तपस भी गहरी सोच में पड़ गया क्योंकि होने को तो कुछ भी हो सकता था। तपस अपनी सोच में डूबा हुआ था तब तक वहां पर स्वर्णा भी आ गई। स्वर्णा को आता हुआ देख बुढ़ी औरत की बड़ी और छोटी बहु दोनों बहुएं स्वर्णा के पास चली गई और जाते ही उन्होंने उस लड़की के खिलाफ़ कान भरने का काम करने लगी। दोनों बहुएं एक दूसरे के सुर में सुर मिला रही थी। वें दोनों स्वर्णा को समझाते हुए बोली। "देखो जीजी आप दोनों को इस लड़की के बारे में हम सभी से ज्यादा मालूम है क्योंकि यह लड़की आप दोनों की ही बेटी है। आप लोगों को ही मालूम होगा कि ये ऐसा कर सकती है या नहीं...! पर अगर इस लड़की ने ही मां जी का खून किया है तो यह एक बहुत बड़ी कातिल है और इस लड़की का इस तरह का होना हम सब से ज्यादा आप लोगों के लिए हो खतरनाक है। आज तो इसने जरा सी बात के लिए मां जी का कत्ल कर दिया। सोचो अगर किसी बात की वजह से इस लड़की ने आप दोनों और मुन्ना का भी खून कर दिया तो......फिर क्या होगा। मुन्ना ने तो अभी तक ढंग से अपनी जिंदगी में कुछ देखा ही नहीं। क्या आप यह देख सकोंगी कि आपका एक बच्चा आपके दूसरे बच्चे का खून कर दे।"  वें दोनों एक के बाद एक तब तक बोलती रही जब तक उन्हें यकीन नही हो गया कि स्वर्णा उनकी बातों में पूरी तरह से आ गई है। जैसे उन्हें इस बात पर पूरी तरह से यकीन हो गया कि स्वर्णा उनकी बातों में पूरी तरह से आ गई है तो उन दोनों ने बोलना बंद कर दिया और अब वें दोनों स्वर्णा के बोलने का इंतजार करने लगी।



उनकी दोनों की बातों में स्वर्णा को भविष्य देखने लगी। इस भयावह भविष्य की कल्पना से स्वर्णा सहम उठी और डर की वजह से अपने लड़खड़ाते हुए शब्दों को संभालते हुए बोली। "तुम दोनों सही कह रही हो। ये लड़की कुछ भी कर सकती है और मै अपने बेटे को इस तरह से नहीं मरने दे सकती....नही मरने दे सकती।



तभी किसी ने स्वर्णा के कंधे पर हाथ रखा जिसकी वजह से स्वर्णा के मुंह से एक जोरदार चीख निकली। इसके बाद जब किसी ने स्वर्णा के दोनों कंधों को कंस कर पकड़ लिया। जिसकी वजह से स्वर्णा अब वास्तविकता में आ गई और जैसे ही स्वर्णा ने पीछे की ओर मुड़ कर देखा तो उसने पाया कि उसके पीछे तपस खड़ा हुआ है जिसके बाद स्वर्णा ने राहत की सांस ली। 



स्वर्णा को सामान्य करते हुए तपस बोला। "जैसा तुम सोच रही हो वैसा कुछ भी नही होने वाला। ये सब तुम्हारे ज्यादा सोचने की वजह से हो रहा है। हमारी बेटी अपने भाई से बहुत प्यार करती है। वो उसके और हमारे साथ ऐसा कभी भी नही करेंगी। तुम बेमतलब ही उस बेचारी पर शक कर रही हो।" तपस अपनी बेटी का समर्थन करते हुए बोला। 



"पर...पर उस श्राप का क्या? उसके हिसाब से तो कुछ भी हो सकता है....।" स्वर्णा की बातों से तो ऐसा लग रहा था कि तपस को बातों का उस के ऊपर कुछ खास फर्क नहीं पड़ा।



स्वर्णा की इतनी बात सुनकर तपस को अच्छे से समझ आ गया कि स्वर्णा के ऊपर उसकी किसी भी बात का कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। इतनी बात को समझकर वह आगे बोला। "पहली बात तो उन सब का इन सब से कोई लेना देना नही है और दूसरी बात अब क्या मैं इतनी सी बच्ची को जेल में डलवा दूंगा, नही ना।" तपस तिलमिलाते हुए बोला।



उसके बाद वहां पर मौजूद सभी लोग आपस के सलहा मशवरा करने लगे। उन में से कोई भी उस लड़की को जेल में भेजने के लिए राजी नहीं था और दूसरी बात जेल में भेजने की ना तो उसकी उम्र थी और ना ही उसके खिलाफ कोई सबूत। इसके बाद बुढ़ी औरत के दोनों बेटों और बहु की सलाह के हिसाब से तपस और स्वर्णा को उस लड़की को कैद करने का फैसला लिया जिसकी वजह से वह किसी के लिए भी खतरा ना बन सके। उस लड़की को एक ऐसी जगह कैद करने का फैसला लिया गया जहां पर कोई भी आता जाता ना हो क्योंकि स्वर्ण को उसकी दिमाग की पॉवर के बारे में अच्छे से मालूम था। इसके बाद उस लड़की को एक वीरान सी जगह पर जाकर कैद कर दिया और उसके खाने पीने के लिए वहां पर एक आदमी को रख दिया और उसको उस लड़की के बारे में सब कुछ बता दिया। इसके अलावा उस आदमी को उस लड़की से बचकर रहने की सलाह दी गई। अब वह कैद हो उस लड़की कि जिंदगी बनने वाली थी और कब तक यह बात उस वक्त किसी को भी मालूम नही रही।



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To be continued..................


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